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अगली सांस

Media Jagat 9 May, 2019

अगली सांस तेरी अंतिम हैतू राख हो जाना है जीवन का पल-पल कीमती हैचिन्ता कर नहीं गंवाना हैजो होना है वो होकर रहेगातुझे नहीं घबराना हैखुषी-खुषी ये जी ले जिंदगीदोबारा यहां नहीं आना हैसन्दीप कम्बोजक्लर्क, रा.क.मा.वि. लाहली (रतिया, फतेहाबाद)मो. 8570008572

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ऐसी होती हैं ये बेटियां

Media Jagat 10 Jan, 2019

जिस आंगन में ना खेली लाडो,ना गूंजी इसकी किलकारी,  वो क्या जाने..? कैसी होती है ये बेटियां....माँ-बाप की जरा सी आह पर, खुलकर रोती है ये बेटियां, ऐसी होती है ये बेटियां......माँ-बाप की गोद मे सर रखकर, सुकून से सोती हैं ये बेटियां, ऐसी होती हैं ये बेटियां......आक को आंगन से उखाड़कर, आम ही बोती है ये बेटियां, ऐसी होती हैं ये

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चाचा नेहरू

Media Jagat 18 Nov, 2018

फिरंगियों ने देश छोड़ा,जनता हुई निहाल।और प्रधानमंत्री बन गए,अपने जवाहर लाल।बच्चों से प्यार था, चाचा नेहरू कहलाए।भाखड़ा जैसे बांध भी,उन्होंने ही बनवाए।सादगी की मिसाल थे,जाने सकल जहान।जहां भी चले गए,मिला मान सम्मान।देश में कायम रखा,भाईचारा और अमन।आओ, उन्हें अर्पित करें,अपने श्रद्धासुमन।हरज्ञान सिंह

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ऐसी हो दीवाली

Media Jagat 15 Nov, 2018

ऐसी मनाओ दीवाली कि सबके घर जगमगाए।छोड़ मोमबत्ती की लाईने मिट्टी के दीये जलाएं।।ऊंच नीच और रंग रूप का ना मन मे क्लेश रहे।जात-पात के नाम पर  हम भेदभाव को मिटाए।कोशिश रहे कि हर नंगे तन को दे पाए कपड़ा हम।खाली पेट घूम रहे जो हम उनको खाना खिलाए।।बिछड़े हुए रिश्तो को समेट सके अटूट बन्धन में।उजड़े हुए हर चमन में फिर

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बैसाखी-2

Media Jagat 10 Nov, 2018

याद करो दोस्तों बैसाखी का त्यौहार थाजलियां वाला बाग थाऔर मौत का व्यापार थाबह रहा खून थादेश के शहीदों काकैसा ये इश्क थाआजादी के मुरीदों काबहनों वारे वीरमाताओं वारे लाल थेबूढे जवान औरछोटे छोटे बाल थेअजीब ये बैसाखी थीअजीब ये सुमेल थाभंगड़े और तोपों कानया ये मेल थाएक तरफ मेलों में पड़ रही ढोल पर थाप

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