Poem post authorMedia Jagat 15 Nov, 2018 (2233)

ऐसी हो दीवाली

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ऐसी मनाओ दीवाली कि सबके घर जगमगाए।
छोड़ मोमबत्ती की लाईने मिट्टी के दीये जलाएं।।

ऊंच नीच और रंग रूप का ना मन मे क्लेश रहे।
जात-पात के नाम पर  हम भेदभाव को मिटाए।

कोशिश रहे कि हर नंगे तन को दे पाए कपड़ा हम।
खाली पेट घूम रहे जो हम उनको खाना खिलाए।।

बिछड़े हुए रिश्तो को समेट सके अटूट बन्धन में।
उजड़े हुए हर चमन में फिर से गुल खिल जाए।।

दिल से ख़ुश हो सब, सबके चेहरे पर मुस्कान रहे।
हिंदुस्तान हमारा सारा खुशी के चिराग जलाए।।

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