Dharmik News post authorMedia Jagat 13 Oct, 2022 (1272)

करवा चौथ व्रत : महत्व एवं सहायक सामग्री

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भारतीय परम्परा अनुसार करवा चौथ का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो कि इस सालकरवा चौथ का व्रत अक्तूबर माह की 13 तारीख को है। वर्तमान समय में करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।

शास्त्रीय मर्यादा के अनुसार करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अघ्र्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी (चन्द्रोदय व्यापिनी) के दिन करना चाहिए। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती है तथा इस दिन गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। 

कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत 12 अथवा 16 वर्ष तक निरंतर प्रति वर्ष किया जाता है। व्रत रखने की यह अवधि पूर्ण होने के बाद उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। इसके अलावा जो सुहागिन स्त्रियाँ अगर इस व्रत को आजीवन करना चाहती हैं तो वे आजीवन करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं। इस व्रत के समान मोक्षदायक, सर्व अभिलाषाओं को पूर्ण करने जैसा अन्य कोई दूसरा व्रत नहीं है। अत: सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।

व्रत के लिए महत्वपूर्ण सामग्री

1. करवा 

करवा एक मिट्टी के बर्तन का बना होता है। जिसके ऊपर एक नोजल होता है जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है। यदि मिट्टी का करवा उपलब्ध नहीं है तो पीतल का करवा भी बना सकते हैं। व्रत की थाली में दो करवा होने जरूरी हैं।

2. दीपक या दीया

करवा चौथ पर पूजा थाली में दीप जलाकर रखें। इसके लिए आप मिट्टी या आटे का दीपक ले सकते हैं। 

3. एक छलनी

करवा चौथ व्रत में छलनी महत्वपूर्ण महत्व रखती है। व्रत की थाली में छलनी का अपना अलग महत्व है। छलनी का प्रयोग आंखों को हानिकारक किरणों से बचाने के लिए, चंद्रमा की छनी हुई रोशनी प्राप्त करने के लिए प्रयोग होती है, ऐसा ग्रंथों में वर्णन मिलता है। 

4. लोटा

करवा चौथ के दिन रात्रि में चंद्रोदय होने उपरांत अध्र्य देने के लिए गोलाकार पानी का पात्र महत्वपूर्ण है। साथ ही चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलते समय थाली में अलग से एक गिलास पानी रखना न भूलें।

5. सिंदूर

सुहागिन स्त्रियों के लिए सिंदूर लगाना सौभाग्यवती होने की निशानी है तथा यह दर्शाता है कि कोई महिला विवाहित है या नहीं। विवाहित स्त्रियों को प्रतिदिन सिंदूर लगाना चाहिए। करवा चौथ व्रत पर भी स्नान के बाद सिंदूर लगाना श्रृंगार का हिस्सा होना चाहिए। व्रत की थाली में सिंदूर भी शामिल करना चाहिए। 

6. मिठाई

व्रत के दिन करवा चौथ व्रत की पूजा की थाली में मिठाई भी शामिल करनी चाहिए। इन मिठाइयों को खाकर व्रत खोल जाता है। मिठाई के तौर पर मठरी को अपनी थाली में जरूर शामिल करें।

7. चावल

करवा चौथ व्रत के दिन पूजा की थाली में चावल को भी शामिल करना चाहिए। चावल किसी भी पूजा में प्रयुक्त होता है। अपनी पूजा की थाली में चावल के 10-12 टुकड़े रखें।

8. कथा पुस्तक

करवा चौथ पर पूजा के दौरान व्रत की कथा सुनी-सुनाई जाती है। इस करवा चौथ व्रत कथा के बिना करवा चौथ अधूरा है। सुहागिन महिलाएं थाली को सजाते समय व्रत की कथा पुस्तिका को साथ रखें तथा पठन-पाठन करें। 

Karwa_Chauth

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